गुरुवार

कहानी गोलगप्पे की... इंडियन स्नैक्स है

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प्रकाशित मनोज जैसवाल 
बच्चों , गोलगप्पे तो तुमने कई बार खाए होंगे, लेकिन तुममें से कितनों को मालूम है कि स्नैक्स के रूप में सर्व किया जाने वाली यह डिश हमारे देश का ही है! तो अगली बार जब भी तुम्हें गोलगप्पे खाने का मौका मिले, पूरे प्राउड के साथ इसे खाना। आखिर..यह इंडियन स्नैक्स जो है! बच्चों, क्या तुम जानते हो कि ‘गोलगप्पा’ उर्दू शब्द है। अपने नाम से यह तुम्हें अपनी खासियत भी बता देता है। वह गोल है और जैसे ही तुम उसे मुंह में डालते हो, गप्प से तुम्हारा मुंह बंद हो जाता है। यदि तुम इसे तोड़ कर खाना चाहो तो इसका असली स्वाद ले ही नहीं पाओगे। है न मजेदार। कभी सोचा था कि इसके नाम में ही इतना बड़ा राज छिपा हो सकता है! वैसे, क्या तुम जानते हो कि अंग्रेजी की डिक्शनरी में गोलगप्पे का अर्थ ‘पानी से भरा इंडियन ब्रेड’ या फिर ‘क्रिस्प स्फेयर ईटेन’ लिखा गया है!
चीज वही, नाम अलग
तुम्हारी तरह देशभर में गोलगप्पे के दीवानों की कमी नहीं है। महाराष्ट्र में लोग इसे पानीपूरी बताशा कह कर खाते हैं तो गुजरात में पानीपूरी नाम देकर। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में इसे फुचका कहते हैं। वहीं, उड़ीसा में इसे गुपचुप नाम से जाना जाता है। मुंह में डालने के बाद जैसे ही हम इसे चबाने की कोशिश करते हैं, तेज आवाज के साथ यह टूटता है। इसी आवाज की वजह से उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और झारखंड के दक्षिणी भाग में इसे गुपचुप नाम से जाना जाता है। कुछ अन्य लोगों का कहना है कि इसे मुंह में डालते ही हम चुप हो जाते हैं, इसलिए इसे गुपचुप कहा जाता है। देशभर में गली-गली घूम कर भी स्नैक्स की तरह इसे बेचा जाता है।
परोसने का ढंग अनूठा
यह क्रिस्प करके फ्राई किया हुआ गोलाकार और पूरी की तरह फूला हुआ होता है। इसे परोसते समय बीच से अंगुली लगा कर इसमें छेद करके उसके अंदर इमली का पानी, मिर्च, चाट मसाला, आलू, प्याज, टमाटर और मटर के दाने मिला कर तैयार किया गया मिक्सचर डाल दिया जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में परोसी जाने वाला उबला आलू और अन्य मसालों के साथ इमली के पानी में तैयार किया जाने वाला गोलगप्पा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। हालांकि इसे नींबू के पानी, पुदीने के पानी, खजूर के पानी और बूंदी डली हुई सिरके के पानी के साथ भी परोसा जाता है। इन दिनों प्राइवेट पार्टियों में इसे वोदका और अन्य स्टफिंग्स के साथ भी परोसा जाने लगा है। नॉर्मली इसे साल के सूखे पत्तों से तैयार प्लेट में परोसा जाता है, लेकिन सड़क किनारे वाले वेंडर से एक-एक करके इसे खाने वालों की संख्या ज्यादा है।
गोलगप्पा आया कहां से
क्या तुम जानते हो कि पानीपूरी की शुरूआत आज के साउथ बिहार से हुई। उन दिनों उस जगह को मगध के नाम से जाना जाता था। गोलगप्पे शब्द के अर्थ पर जाएं तो इसकी शुरूआत बनारस से मानी जाती है। सन् 1970 में दिल्ली से बच्चों की एक मैगजीन निकलती थी, जिसका नाम रखा गया था ‘गोलगप्पा’। बाद में गोलगप्पा तुम बच्चों की फेवरेट डिश में शामिल हो गया। खैर, यह निकला चाहे कहीं से भी हो, लेकिन धीरे-धीरे पूरे देश में इसके चाहने वाले तैयार हो गए। जैसे-जैसे उत्तर भारत के लोग देश के अन्य इलाकों में जाकर बसने लगे, गोलगप्पे खाने और उसे चाहने वालों की काउंटिंग भी बढ़ती गई। इसे दुनिया भर में फेमस करने का कुछ श्रेय हमारे बॉलीवुड को भी जाता है, जिसने अब तक कितनी ही फिल्मों में नायक-नायिकाओं को गोलगप्पे खाते हुए दिखाया है। बॉलीवुड ने तो इसे हमारे पड़ोसी देशों में भी पॉपुलर बना दिया है।
 

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